आम जनता की उद्दंड, प्रचंड और घनघोर मांग को देखते हुए अंतत: मैंने भी ब्लॉग की दुनिया में औकात के हिसाब से 140 गज जमीन खरीदने का डिसीजन ले लिया है. ब्रांडिंग (सेल्फ वर्ड को साइलेंट कर दिया गया है) के लिए आयडियल मंच है ब्लॉगिंग. कबीर आज होते तो लिखते-कबीरा खड़ा गुगलवा में...खैर एक डायरेक्ट सा असेंसर्ड एनाउंसमेंट.
सबों को भाग-डी- के-बोस की कसम अगर इस मुल्क में कमाल राशिद खान को फिल्में बनाने का, शरद पवार को एंटी करप्शन कमिटी को हेड करने का, सोनम कपूर को कांस फिल्म फेस्टिवल में रेड कार्पेट पर "ओह-आह-आउच " मार्का कैट वॉक करने का, अमर सिंह को बिपाशा बसु से "बिटविन दि लेग्स" उप्स बिटविन दि लाइन्स बात करने का, मल्लिका शेरावत को ओबामा के साथ लंच करने का हक है तो मुझे भी पूरा-पूरा हक है जो मन में आए उसे लिख देने का.
कोई ताकत मुझे भी यहां भों-भों करने से रोक नहीं सकती. लेकिन दोस्तों आपसे एक सेंटी-गुजारिश जब भी आपको कहीं भों-भों करता हुआ कोई दिख जाऐ या सुन जाए तो उनमें मेरा अक्सदेख कर पल भर याद कर लीजिएगा. और 140 वर्ड की छोटी सी दुनिया में दो मिनट का वक्त निकाल लेंगे. भले पोस्ट पढ़े ना पढ़े-गारंटी देता हूं कि पढऩे लायक नहीं के बराबर होगा ताकि आपका समय बर्बाद न हो, विजिट जरूर कर लें ताकि टीआरपी बढ़ती रहे (फिर समझते ही हैं कि टीआरपी वाले को दुनिया कब अंत होगी यह भी बताने-डराने का हक मिल जाता है).
अंत में एक स्पेशल ऑफर-मेरे ब्लॉग पर कमेंट करने वाले पहले 50 दोस्तों को मेरी ओर से फ्री में थैंक्स मिलेगा. हां, बिल्कुल फ्री में. बिना मार्का वाला.
और अगर आपमें किसी को यह ऑफर छोटा और बेकार सा लग रहा हो तो बांये दिल पर हाथ रखकर याद करें कि आखिर में कब आपसे किसी ने बिना किसी हित के कोई अच्छी बात और दो वर्ड मीठे बोले होंगे...और जिन्हें वास्तव में याद आ जाएं कि किसी ने कहा है तो उन खुशकिस्मत दोस्त को साधुवाद...आपने जिंदगी जी ली..आप लाइफ इज ब्यूटीफुल कहने के हकदार हैं.
kuch non-sense jaisa..
AIDS( Appraisal and deficeiency syndrome) suffering
सारे दोस्तों के लिए एक टिप्स-
संयम नहीं रखें..मल्टीपार्टनर (बहुनौकरी )में भरोसा रखें. रोग के लक्षण कभी नजर नहीं आएंगे.
Senti-Mental
बड़े शहरों में अक्सर ख्वाब छोटे टूट जाते हैं,
बड़े ख्वाबों की खातिर छोटे शहर छूट जाते हैं
Sahi hai sir!!!
ReplyDeleteha ha ha......very funny :p good job !! :-))
ReplyDeleteinteresting!
ReplyDeleteशुरुआत जोरदार है, उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं नरेंद्र जी...
ReplyDeleteअगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteINTERESTING....
ReplyDeleteNice. Achcha hai Narendra. Waiting next post.
ReplyDeleteisi liye to aap aap hai baki sb bakwas hai
ReplyDeleteLol..convincing argument ..if sonam kapoor can ooh-ah-ouch ..the rest of us can at least chatter
ReplyDeleteभाई साब ब्लॉग की खरीदारी में ही समझदारी है..... अब आप इत्ता अच्छा लिख ही दिए हैं तो हम इसकी मार्कटिंग करने का प्राण लेते हैं....
ReplyDeletenik achay
ReplyDeleteआखिरी की कुछ लाइने झोली वाले बाबा से प्ररित होकर लिखी गई हैं क्या, देने वाले का भी भला हो और ना देने वाले का भी भला हो उसके बाद दुनिया भर के वास्ते देकर आपसे एक कटोरी आटा तो ले ही लेता है, ठीक कह रहा हूं ना सर। वैसे बहुत मस्त और यूजफुल बकवास है :-p
ReplyDeleteब्लॉग की दुनिया में नए मुसाफिर का स्वागत है. आपकी यात्रा मंगलमय हो...
ReplyDeleteachchha hai.Next bhawana jald vyakt kigiya. i m waiting.
ReplyDeleteblog padhne ke baad mujhe rancho ki yaad aa gayi.......gud going...n m in top 5o so, thnx to banta hai...
ReplyDeleteitna padne ke baad kuch bolne ko bacha hi nahi
ReplyDeleteनरेन्द्रजी, जबरदस्त. आख़िरकार आप १४० गज के स्वामी हों गए. आपका मेहनत आपको १३८ गज ज्यादा जमीन दिलाया. मुझे उम्मीद है की इस जमीन को आप अपनी मेहनत और लोगों के सहयोग से बहुत ही उपजाऊ बनायेंगे जिससे वक़्त-वे-वक़्त लोगों को कुछ पल के लिए 'मानसिक भोजन' मिलेगा और फिर उसे पढ़ कर दो कदम आगे बढ़ने के लायक हों जायेंगे. मेरी बहुत बहुत शुभकामनायें -
ReplyDeleteमुख से तू अविरत कहता जा मधु, मदिरा, मादक हाला,
हाथों में अनुभव करता जा एक ललित कल्पित प्याला,
ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का,
और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको दूर लगेगी मधुशाला।।
जबरदस्त..बहुत मस्त और यूजफुल बकवास है
ReplyDelete................................................
व्यंगात्मक लेख लिखने में आप माहिर हैं यह मुझे मालूम हैं क्योंकी मैं ने आपके साथ दो साल काम किया हैं इसलिए. blog पढने में काफी मज़ा आया और और पढने के साथ ही मुझे दो लोगो की याद भी आई. एक तो हमारे हिंदुस्तान के बय्ज्नाथ मिस्र जी का ''कबीरा खड़ा बाजार में..'' coloum का याद आया जीसे मैंने कभी पढ़ा नहीं और अब तो छपता भी नहीं हैं और दूसरा मुझे परमट के DOG साहेब याद आये जिनके भों-भों करने से मेरे रातो की नींद और दिन का चैन चला गया था और तो और मुझे परमट छोरना परा.
बेझिझक बतकुच्चन की इस अनोखी दुनिया मे आप जैसे फेकनबाज का यूजफूल बकवास पढने का आनंद लेने के लिए मैं भी तैयार हूं।
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