
स्पेशल रिमार्क.
वाह-वाह प्रोडक्शन की अगली रिलीज "चल चमेली फेसबुक में तुझे फार्मविला घुमाऊंगा" 140 वर्ड्स मल्टीप्लेक्स में विशेष कारणों से टाल दी गयी है. कारण यह कि इस पोस्ट को पढऩे के लिए फिलहाल टीआरपी नहीं मिलेगी. ठीक वही हाल होगा जैसा सलमान खान की फिल्म दबंग के साथ रिलीज हुई कमाल राशिद खान की फिल्म देशद्रोही का हुआ था.
वक्त बाबा का है. फास्टिंग अनटू डेथ का है. वक्त अपनी मांग मंगवाने का है. वक्त बहती गंगा में हाथ धोने का है.
तो मैं भी इस पोस्ट के साथ हाथ धोने जैसा पुण्य काम करने को तैयार हूं...जय हो।़ इसे वेल बिहेव्ड लैंग्वेज में "गुड टाइमिंग" कहने से अच्छा लगने लगता है. ठीक उसी तरह जैसे दलाल को इंग्लिश में लाइजनर कहने से उसकी स्टेट्स लाइक होने लगती है.
सबका नाम गुम हो जाएगा और
शीला,मुन्नी,पप्पू और डीके बोस का नाम रह जाएगा...
बैक टू पोस्ट नाऊ...
ए फॉर अन्ना और बी फॉर बाबा के फास्टिंग की अपार सफलता के बाद और सी फॉर चाचा चौधरी के जंतर मंतर पर साबू को इंडियन सिटीजनशिप दिलवाने की मांग को लेकर फास्टिंग करने की खबर आने के बाद पूरा मुल्क फास्टोमेनिया मोड में आ गया है.
वाइफ अपने हसबैंड को एक दिन फास्ट कर ऑफिस जाने को कह रही है, टीवी वाले फास्ट को एकदम फास्ट-फास्ट ब्रेकिंग कवर कर रहे हैं. मेरे गांव में सुतिया देवी के घर में खाना-पकाने को कुछ नहीं था तो फास्ट..और मुझे अपने ब्लॉग पर आपसे लाइक और कमेंट लेना था तो फॉस्ट..हर जगह फास्ट ही फास्ट. वेरी फास्ट.
देश के हालात-ए-फास्ट की मौजूदा सिचुएशन में ंएक और ब्रेकिंग न्यूज आयी पूरे डिटेल्स के साथ. चार मानूष एक साथ जंतर मंतर पर सांस चलने की अंतिम बीट तक फास्टिंग करेंगे सुबह 10.30 से लेकर शाम 4.30 तक.
वे कौन हैं इसका खुलासा बाद में होगा. न्यूज चैनल ने इनोवेशन किया बीच में. नाम गेस करो गेस करोऔर फॅाइव स्टॉर होटल में डिनर का एक फ्री कूपन पाओ. यम-यम..चप--चप..फ्री में खाना मिलने के नाम पर एसएमएस दे दनादन आने लगे. राहुल गांधी से लेकर जॉनी लीवर, लालू यादव तक गेसवर्क जारी रहा.
अगले दिन सुबह तमाम ओबी वैन, कैमरे जंतर मंतर लाइव करने को रेडी. कौन हें वो चार? लगेगा चौका।़ हर चैनल अपनीे टीजी के मुताबिक पैकेजिंग करने में बिजी तो एडिटर अपनी मार्निंग मीटिंग में अगले दिन का धांसू-स्टैंड हिटिंग हेडिंग और न्यूज प्लानिंग में. टीवी न्यूज की धुन सुनकर शशि थरूर की कैटल क्लास जंतर मंतर की ओर ऐसे ही बढऩे लगी जैसे मेरे गांव में तन डोले रे मेरा मन डोले रे..की धुन पर बना विष वाला सांप इधर-उधर फूं-फूं कर डराता था.
खैर पब्लिक पहुंची. पीछे से वो चार भी वहां पहुंचे. वहां कैमरे उसी तरह चलने लगे जैसा कि एकता कूपर की सीरियल के हर एपिसोड के अंत में होता है. जूम इन जूम आउट.इन इन.आटट आउट.
तभी नाम का खुलासा हुआ.
झुमरीतलैया की शीला, रामगढ़ की मुन्नी, टिंबक टू से डीके बोस और होनोलुलू से पप्पू ग्रेट इंडियन आडिएंंस से मुखातिब थे.दिल थाम के देश था
अब खुलासा होना था उनकी मांगों का-
सबों ने आपे पॉकेट से आई फोन निकाला और उसमें लिखे स्टेटमेंट को एक साथ पढ़ डाला.
"वह कौन सी मनहूस घड़ी थी जब हमारा यह नाम रखा गया. शीला की जवानी नेशनल सबजेक्ट बन जाती है. पप्पु राष्ट्रीय मनहूसियत का प्रतीक बन जाता है. अपने बेहतर वर के लिए सोमवारी करने वाली मुन्नी बदनाम हो जाती है और डीके बोस को बुलाने पर कुछ और चीज कान में सुनाई देने लगती है. मुझे नहीं चाहिए ऐसा नाम. जब तक हमारा नाम बदला नहीं जाएगा तब तक फास्ट अनटू डेथ जारी रहेगा. आप लोग हमारे सपोर्ट में फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर हैशटैग कर खूब ट्विट करें ताकि यह नेशनल ट्रेंड बन जाए. आप वैसा करें बाकी हम करते हैं अपना काम मतलब भूखा रहने का काम."
मार्मिक अपील. इमोशनल. उतरन से भी अधिक इमोशन.फेसबुक से लेकर ट्विटर तक छा गई. टीआरपी टॉप पर.मुन्नी रोने लगी..डीकेबोस साब चुप हो गए. सेंटल गर्वमेंट के कान खड़े. खटाक से पीएम डॉ. यमयम सिंह ने अपने काबिल मिनस्टर पिल सिर किब्ब्ल ल को बातचील के लिए भेजा. साफ डायरेक्शन-हवाई में होली डे वैकेशन पर गयी मदाम सुनो-ना-जिया को कोई पंगा नहीं मांगता. मदाम हित में इसे रोका जाए.
निगोसिएशन शुरू, तब तक बॉलीवुड से सरका-लो-खान और गरीब खान ने अपना सपोर्ट दे दिया. वैल्यु बढ़ी तो फिर मांग बढ़ी. चारों ने अपने लिए कंपनसेशन मांगा. मांग को फेसबुक पर लाइक किया गया. ट््िवटर पर आरटी हुआ.
अब चार मिनिस्टर की एक कमिटी जंतर मंतर के पीछे बने एसी गेस्ट हाउस में बातचीत शुरू हुई. पांच घंटे बात चली. तब तक देश की सांसे फूली रहीं. कोई सॉल्युशन न मिलने पर गवर्नमेंट का बैंड-बाजा-बारात निकालने पर आमदा थे। अपोजिशन लीडर सुष-उपमा स्वर-राज ने एलान कर दिया-तब तक वह डांस करती रहेगी जब तक चारों की मांगे नहीं मानी जाएगी. इधर चैनल पर धूप के कारण मुन्नी के लिप्स्टिक के पिघलने और शीला की जवानी के ढलने की खबर ब्रेक करने लगे. फास्ट से पहले का फिगर और उसके बाद का कैसा यह नेशनल क्यूरिसिटी बन गयी.
मेरे दादा को गांधी याद आने लगे. चाचाजी को जेपी.किसी को एजिप्ट. किसी को चौरी-चौरा आंदोलन. जिसको जिस आंदोलन के बारे में पता था उसने इस आंदोलन की तुलना उससे कर दी.
खैर निगोसिएशन समाप्त हुआ. सभी बाहर निकले. फिर कहा गया-सहमति बन गई है जिसके बाद फास्ंिग के द इंड की घोषणा की जा रही है.
स्टेटमेंट यह था.
"गवर्नमेंट ने चारों की मांग सुनने-पढऩे के बाद पाया है कि इनके साथ अन्याय हुआ है.गवर्नमेंट ने अपने प्रभाव का यूज करते हुए चारों को बिग बॉस सीजन 5 में जाने का इंतजाम कर लिया. (ऐसा न करने पर चैनल को वल्गर कंटेट दिखाने पर लाइसेंस कैंसिल करने की धमकी दी गई.) इन चारों को प्रति एपिसोड 10 लाख रुपए मिलेंगे. उन्हें अधिक से अधिक एसमएसम मिले इसके लिए टेलीकॉम कंपनी को स्पेशल अरेंजमेंट करने को कहा गया. साथ ही सारे गवर्नमेंट के अगले नेशनल इंटिग्रिटी थीम सांग-मिले सुर मेरा तुम्हारा में भी दिखेंगे."
चारों खुश, अनशन समाप्त
जतर मंतर खाली होने लगा और सजने लगा अगले अनशन के लिए. और नीचे वागले साहब सुनील बाबू से पूछ रहे थे-किस मनहूस घड़ी में हमारा नाम शीला, मुन्न्नी, डीके बोस या पप्पू नहीं रखा गया.?