Sunday, June 12, 2011

सबका नाम गुम हो जाएगा और शीला,मुन्नी,पप्पू और डीके बोस का नाम रह जाएगा...


स्पेशल रिमार्क.

वाह-वाह प्रोडक्शन की अगली रिलीज "चल चमेली फेसबुक में तुझे फार्मविला घुमाऊंगा" 140 वर्ड्स मल्टीप्लेक्स में विशेष कारणों से टाल दी गयी है. कारण यह कि इस पोस्ट को पढऩे के लिए फिलहाल टीआरपी नहीं मिलेगी. ठीक वही हाल होगा जैसा सलमान खान की फिल्म दबंग के साथ रिलीज हुई कमाल राशिद खान की फिल्म देशद्रोही का हुआ था.

वक्त बाबा का है. फास्टिंग अनटू डेथ का है. वक्त अपनी मांग मंगवाने का है. वक्त बहती गंगा में हाथ धोने का है.

तो मैं भी इस पोस्ट के साथ हाथ धोने जैसा पुण्य काम करने को तैयार हूं...जय हो।़ इसे वेल बिहेव्ड लैंग्वेज में "गुड टाइमिंग" कहने से अच्छा लगने लगता है. ठीक उसी तरह जैसे दलाल को इंग्लिश में लाइजनर कहने से उसकी स्टेट्स लाइक होने लगती है.

सबका नाम गुम हो जाएगा और

शीला,मुन्नी,पप्पू और डीके बोस का नाम रह जाएगा...

बैक टू पोस्ट नाऊ...

ए फॉर अन्ना और बी फॉर बाबा के फास्टिंग की अपार सफलता के बाद और सी फॉर चाचा चौधरी के जंतर मंतर पर साबू को इंडियन सिटीजनशिप दिलवाने की मांग को लेकर फास्टिंग करने की खबर आने के बाद पूरा मुल्क फास्टोमेनिया मोड में आ गया है.

वाइफ अपने हसबैंड को एक दिन फास्ट कर ऑफिस जाने को कह रही है, टीवी वाले फास्ट को एकदम फास्ट-फास्ट ब्रेकिंग कवर कर रहे हैं. मेरे गांव में सुतिया देवी के घर में खाना-पकाने को कुछ नहीं था तो फास्ट..और मुझे अपने ब्लॉग पर आपसे लाइक और कमेंट लेना था तो फॉस्ट..हर जगह फास्ट ही फास्ट. वेरी फास्ट.

देश के हालात-ए-फास्ट की मौजूदा सिचुएशन में ंएक और ब्रेकिंग न्यूज आयी पूरे डिटेल्स के साथ. चार मानूष एक साथ जंतर मंतर पर सांस चलने की अंतिम बीट तक फास्टिंग करेंगे सुबह 10.30 से लेकर शाम 4.30 तक.

वे कौन हैं इसका खुलासा बाद में होगा. न्यूज चैनल ने इनोवेशन किया बीच में. नाम गेस करो गेस करोऔर फॅाइव स्टॉर होटल में डिनर का एक फ्री कूपन पाओ. यम-यम..चप--चप..फ्री में खाना मिलने के नाम पर एसएमएस दे दनादन आने लगे. राहुल गांधी से लेकर जॉनी लीवर, लालू यादव तक गेसवर्क जारी रहा.

अगले दिन सुबह तमाम ओबी वैन, कैमरे जंतर मंतर लाइव करने को रेडी. कौन हें वो चार? लगेगा चौका।़ हर चैनल अपनीे टीजी के मुताबिक पैकेजिंग करने में बिजी तो एडिटर अपनी मार्निंग मीटिंग में अगले दिन का धांसू-स्टैंड हिटिंग हेडिंग और न्यूज प्लानिंग में. टीवी न्यूज की धुन सुनकर शशि थरूर की कैटल क्लास जंतर मंतर की ओर ऐसे ही बढऩे लगी जैसे मेरे गांव में तन डोले रे मेरा मन डोले रे..की धुन पर बना विष वाला सांप इधर-उधर फूं-फूं कर डराता था.

खैर पब्लिक पहुंची. पीछे से वो चार भी वहां पहुंचे. वहां कैमरे उसी तरह चलने लगे जैसा कि एकता कूपर की सीरियल के हर एपिसोड के अंत में होता है. जूम इन जूम आउट.इन इन.आटट आउट.

तभी नाम का खुलासा हुआ.

झुमरीतलैया की शीला, रामगढ़ की मुन्नी, टिंबक टू से डीके बोस और होनोलुलू से पप्पू ग्रेट इंडियन आडिएंंस से मुखातिब थे.दिल थाम के देश था

अब खुलासा होना था उनकी मांगों का-

सबों ने आपे पॉकेट से आई फोन निकाला और उसमें लिखे स्टेटमेंट को एक साथ पढ़ डाला.

"वह कौन सी मनहूस घड़ी थी जब हमारा यह नाम रखा गया. शीला की जवानी नेशनल सबजेक्ट बन जाती है. पप्पु राष्ट्रीय मनहूसियत का प्रतीक बन जाता है. अपने बेहतर वर के लिए सोमवारी करने वाली मुन्नी बदनाम हो जाती है और डीके बोस को बुलाने पर कुछ और चीज कान में सुनाई देने लगती है. मुझे नहीं चाहिए ऐसा नाम. जब तक हमारा नाम बदला नहीं जाएगा तब तक फास्ट अनटू डेथ जारी रहेगा. आप लोग हमारे सपोर्ट में फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर हैशटैग कर खूब ट्विट करें ताकि यह नेशनल ट्रेंड बन जाए. आप वैसा करें बाकी हम करते हैं अपना काम मतलब भूखा रहने का काम."

मार्मिक अपील. इमोशनल. उतरन से भी अधिक इमोशन.फेसबुक से लेकर ट्विटर तक छा गई. टीआरपी टॉप पर.मुन्नी रोने लगी..डीकेबोस साब चुप हो गए. सेंटल गर्वमेंट के कान खड़े. खटाक से पीएम डॉ. यमयम सिंह ने अपने काबिल मिनस्टर पिल सिर किब्ब्ल ल को बातचील के लिए भेजा. साफ डायरेक्शन-हवाई में होली डे वैकेशन पर गयी मदाम सुनो-ना-जिया को कोई पंगा नहीं मांगता. मदाम हित में इसे रोका जाए.

निगोसिएशन शुरू, तब तक बॉलीवुड से सरका-लो-खान और गरीब खान ने अपना सपोर्ट दे दिया. वैल्यु बढ़ी तो फिर मांग बढ़ी. चारों ने अपने लिए कंपनसेशन मांगा. मांग को फेसबुक पर लाइक किया गया. ट््िवटर पर आरटी हुआ.

अब चार मिनिस्टर की एक कमिटी जंतर मंतर के पीछे बने एसी गेस्ट हाउस में बातचीत शुरू हुई. पांच घंटे बात चली. तब तक देश की सांसे फूली रहीं. कोई सॉल्युशन न मिलने पर गवर्नमेंट का बैंड-बाजा-बारात निकालने पर आमदा थे। अपोजिशन लीडर सुष-उपमा स्वर-राज ने एलान कर दिया-तब तक वह डांस करती रहेगी जब तक चारों की मांगे नहीं मानी जाएगी. इधर चैनल पर धूप के कारण मुन्नी के लिप्स्टिक के पिघलने और शीला की जवानी के ढलने की खबर ब्रेक करने लगे. फास्ट से पहले का फिगर और उसके बाद का कैसा यह नेशनल क्यूरिसिटी बन गयी.

मेरे दादा को गांधी याद आने लगे. चाचाजी को जेपी.किसी को एजिप्ट. किसी को चौरी-चौरा आंदोलन. जिसको जिस आंदोलन के बारे में पता था उसने इस आंदोलन की तुलना उससे कर दी.

खैर निगोसिएशन समाप्त हुआ. सभी बाहर निकले. फिर कहा गया-सहमति बन गई है जिसके बाद फास्ंिग के द इंड की घोषणा की जा रही है.

स्टेटमेंट यह था.

"गवर्नमेंट ने चारों की मांग सुनने-पढऩे के बाद पाया है कि इनके साथ अन्याय हुआ है.गवर्नमेंट ने अपने प्रभाव का यूज करते हुए चारों को बिग बॉस सीजन 5 में जाने का इंतजाम कर लिया. (ऐसा न करने पर चैनल को वल्गर कंटेट दिखाने पर लाइसेंस कैंसिल करने की धमकी दी गई.) इन चारों को प्रति एपिसोड 10 लाख रुपए मिलेंगे. उन्हें अधिक से अधिक एसमएसम मिले इसके लिए टेलीकॉम कंपनी को स्पेशल अरेंजमेंट करने को कहा गया. साथ ही सारे गवर्नमेंट के अगले नेशनल इंटिग्रिटी थीम सांग-मिले सुर मेरा तुम्हारा में भी दिखेंगे."

चारों खुश, अनशन समाप्त

जतर मंतर खाली होने लगा और सजने लगा अगले अनशन के लिए. और नीचे वागले साहब सुनील बाबू से पूछ रहे थे-किस मनहूस घड़ी में हमारा नाम शीला, मुन्न्नी, डीके बोस या पप्पू नहीं रखा गया.?

Monday, June 6, 2011

आपकी फोटू बहुत ही खूबसूरत है... इसे कभी फोटूशॉप से नहीं निकालएगा ऑरजिनल हो जाएंगे....

पुराने जमाने की सुपरहिट फिल्म ताजमहल में शाहजहां-ए-आजम अपने नूर-ए-दिल से रोमांटिक अंदाज में फ्लर्ट मारते हुए सेंटी-इमोशन का रिमिक्स तडक़ा मारते हैं-

"जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं"...

अरे.. जहांपनाह...वो बात कैसे होती..आपके जमाने में फोटोशॉप था क्या? हर दिन कम से कम पांच वर्सन अपडेट करने वाले एडोब फोटोशाप का सोलह श्रृंगार का एफेक्ट देखा था क्या? पता नहीं कि इसने किस अंदाज-ए-अविश्वनीय तरीके से हम जैसों रंगहीन,गंधहीन,स्वादहीन चेहरों की तो किस्मत ही बदल डाली.

एक दिन में हम जितनी बार टट्टी नहीं जाते उससे मर्तबा तो इसका लेटेस्ट वर्सन आता है.नये-नये फीचर्स के साथ. और हर बार खूबरसूरती में दो इलिमेंट जुड़ जाते हैं..बला से बलेस्ट की खूबसूरती...

जहांपनाह. पहले फोटूशॉप होता न तो फिर देखते...किसमें वो बात है..उसमें कि उसकी तस्वीर में.

मेरी बात से कोई इत्तिफाक रख रहा तो वे फेसबुक पर जाकर किसी का प्रोफाइल पिक्चर देख लें. अरे.किसी का क्या..मेरा ही देख लें ना..फोटोशॉप में फोटू डालकर सिपिया कलर में जब वो बदलता है तो "डॉली बिंदा की खूबसूरती की कसम" तब मेरी फोटू के सामने "टिंकू जिया" भी फेल हो जाता है.....खट से लाइक हो जाता है.अवेसम..ब्यूटीफुल..लुकिंग गुड..जिसको अपने ज्ञान की औकात से जितने एडजेक्टिव आते हैं लगाकर कमेंट मार देते.

बदल गये फोटू के मतलब टाइम-हालात और फेसबुक के प्रोफाइल पिक्चर के साथ.

नयी फिलॉसफी है-

"जो बात मेरी तस्वीर में है वो मुझमें कहां-"

(हालांकि भारतीय दंड संहिता 9-2-11 के तहत यह बात किसी के मुंह पर बोलना दंडनीय अपराध है की वोह असल में उतना खुबसूरत नहीं जितना की फोटो और ऐसा करने पर उसके किसी भी स्टेटस को 100 पोस्ट तक लाइक नहीं किया जाएगा.)

वक्त लुक एंड फील के "फोटोशॉप ट्रांसफोरमेशन" का है.

फेसबुक पर पल-पल बदलता प्रोफाइल फोटू भी ठीक उसी ट्रेंड का "फेसबुकीकरण" है. यह ठीक वैसे ही बदलता जैसा अस्सी के दशक में जितेंद्र और माधवी 4 मिनट के एक गाने तथैया..तथैया..हो..हा.हो..हा..में कम से कम 50 ड्रेस.

शाहरूख खान ने सिक्स पैक एब बनाने से पहले तक फोटूशॉप की महिमा को नहीं जाना था. नहीं तो परदेस में वह महिमा..की वह महिमा नहीं करते...

"जरा तस्वीर से तू निकल के सामने आ मेरी मेहबूबा.."

हा..हा..हा..ही.ही..फिर फोटूशॉप से महिमा निकल फिलम इंडस्ट्री से ऐसा निकली कि अब उसे दिल्ली दूरदर्शन दरियागंज का गुमशुदा तलाश केंद्र भी नहीं तलाश कर पाएगा लेंडर पेस बी नहीं .

मतलब समझो. घिसे-पिटे आउटडेटेड डायलॉग को आउट करो.

सत्यम शिवम सुंदरम नहीं..

फोटशॉप ही सत्य है,सुंदरम है, शिव है बोलें..

जमाना बदल गया है.खूबसूरती की तारीफ के पारामीटर बदल गये हैं..अब पाकीजा से कहा जाता है-

"जॉनी..आपकी फोटू बहुत ही खूबसूरत है..इसे फोटूशॉप से कभी नहीं निकालएगा...

वे ऑरजिनल हो जाएंगे.."

वहीं सागर किनारे डिंपल से रुमानी सवाल की जाती..

"चेहरा है या फोटूशॉप खिला है...."

Kuch non-sense jaisa

latest fashion statement

Baba Ramdev looks like Kangana Ranawat.. never knew the secret...thanks to lathi..for revealing new beauty around us..!!





Senti-Mental

Some relationships are like Tom &Jerry. They tease. They fight and they irritate each other..but we all know never would be the same apart!!!!

Next Release

चल चमेली फेसबुक में तुझे फार्मविला घुमाऊंगा....

Wednesday, June 1, 2011

मुझे उत्मदप्रलाद हुआ है...एस फैक्टर की जरूरत है...

कल रात में एक्स फैक्टर देख रहा था. वही प्रोग्राम जिसमें पूरे यूनिवर्स (ऐसा मैं नहीं चैनल वाले दावा कर रहे है )के सबसे टैलेंटेंड सिंगर-एक्टर-डांसर-फिलॉसफर-स्ट्रगलर-एंकर-राइटर-फाइटर, अरे छोडि़ए सारे टर, गर टाइप एडजेंक्टिव लगा लें वैसे हुनरमंद बंदे की तलाश हो रही है. सारी क्वालिटी एक साथ मिलती है तब जाकर सामने आता है एक्स फैक्टर.

कसम रियलिटी शो बनाने वाले की, क्या धांसू आयडिया है बॉस. अब बात मुद्दे की. उसी प्रोग्राम में कल एक उजड़े चमन-बिखरे-वतन टाइप कंटेसटेंट सामने आता है...जजेज उससे पूछते हैं-आप क्या करते हैं?

जवाब-सर,मैं ऑटो चलाता हूं.

कैमरा श्रेया घोषाल, संजय लीला भंसाली और सोनू निगम के आंखों में घुस जाता है..टप-टप बरसा पानी की ट्यून पर तीनों के आंखों से आंसू (अगर सही वाले हैं तो ).

मैं हैरान-परेशान. वह ऑटो वाला है और शो में आ गया तो इसमें रुदाली बनने की जरूरत क्या?

फिर मैंने अपनी समझ पर डाउट किया और गुणी लोगों के इमोशन को सम्मान देते हुए देखना जारी रखा.

वह गाता रहा, तुम फूलों की रानी, मैं बहारों की मालिक...

और जजेज रोते रहे..गाना खत्म..रोना जारी..सन्नाटा..एकदम जय के मरने के बाद जैसा शोले में होता है वैसा सन्नाटा. सुना कि कई घरों में कई औरतें भी रोईं.

जाहिर है इसके बाद तो उसका सेलेक्शन तो होना ही था. एंट्री के साथ टीआरपी ऑन टॉप. एक्स से पहले उसका एस (सिपैंथी) फैक्टर काम कर गया. उसकी तो चल पड़ी. फेसबुक पर उसके सपोर्ट में फैंस क्लब खुल गये. ट्विट होने लगे. अमूल मैचो मैन की सारी खूबियां उसमें दिखने लगी. वह सेलेब क्लब में धड़ ररर से चला गया अपने ऑटो से.

मैंने अपने आपको कोसा-हाय रब्बा..मैंने ऑटो क्यूं नहीं चलाई??

पिछले दिनों इसी तरह रोडिज में एक मैनेजमेंट स्टूडेंट ने महान दि ग्रेट रघु-राजीव कंपनी को सही शब्दों में "वो" बना डाला. उसने एस-फैक्टर फेंका कि वह एक होटल में स्वीपर टाइप काम करता है..बस यही खूबी उसे रोडिज के रास्ते में सरपट ले उड़ी. यह तो शुक्र मनाएं कि मुझ जैसे कुछ फ्रस्टु टाइप लोगों की डीप रूटेड अनुसंधान एकदम इंस्पेक्टर दया की तरह, जिसने उसका पूरा कच्चा चि_ा निकाल दिया कि वह तो स्वीपर क्या खुद कई स्वीपर को पगार देने की औकात रखता है.

लेकिन बात न तो ऑटो की है न ही बेचारगी की मेरे दोस्त. यह जो एस फैक्टर है ना वह तो एक आर्ट है.

याद आने लगे कॉलेज के फ्स्र्ट ईयर के दिन.सुबह-सुबह सभी उंगलियों में बैंड एड-तभी इसका चलन तेजी से हुआ था, लगाकर पहुंच जाते कुछ लडक़े और फिर सारी लड़कियां भिन्न्न्न्न्न्न्न कर वहां मंडराने पहुंच जाती. अरे मेरा हलवा, मेरे खीर..मेरे दोस्सा मेरे जानू मेरे ए मेरे बी कैसे हो गया..दर्द कर रहा है ना?? लो..और दूर खड़े हम लोग सोचते-बेटा जरा निकल-उंगली की वह हालत करूंगा कि बैंड एड तो क्या पूरे अस्पताल का प्लास्टर भी ठीक नहीं कर पाएगा. ये अलग बात कि दिल के अरमान हमेशा दिल में ही रह गए.

लेकिन धीरे-धीरे मोटे अक्ल में पतली बात देर ये गई-यह एस फैक्टर बहुत ही धांसू फैक्टर है. यह राजीव गांधी को इंडिसन पॉलिटिकल हिस्ट्री का सबसे बड़ा मैनडेट दिलाता है, रणवीर कपूर को एक के बाद एक गर्ल फ्रेंड दिलाता है, मेंटली डिस्टर्ब कोई मिल गया को हगिज जिंटा और गुजारिश को कांस राय बच्च्न दिलाता है, रियलिटी शो में बेशुमार एसएमएस मिलते हैं...शाइनी आहुजा को फिल्में दिलाता है, वीना मलिक को अपनी माशाअल्लाह अदा दिखाने का परमिट देता है, राहुल महाजन को सोलह हजार लड़कियों के बीच अपनी दुल्हन चुनने का मौका मिलता है, विनोद कांबली को अपने यार सचिन तेंदुलकर पर आरोप लगाने का साहस देता है...लिस्ट लंबी है..भावनाओं को समझिए,अधिक मिसाल की और क्या जरूरत है.

अंत में एक बात- मेरा ब्लॉग बहुत ही दीन-हीन टाइप है. कई दिन इसने बिना शब्द के खुले आसमान में गुजारे हैं.इसे आपके सहारे की जरूरत है. जरा इसके लिए आप कुछ आंसू बहा लें तो मैं अपना कुछ इंतजाम कर लूं. एस फैक्टर के इंतजार में.




Kuch non-sense jaisa

A line written on the gate of graveyard.........

This place is full of those people..who thought that the world cannot run without them...........

Senti-मेंटल

मैं तो रह गई शबरी की शबरी..तुम मेरे जूठी बेरी खाकर ऊंचे हो गये राम..